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Saturday, May 25, 2013

जीवन लक्ष्य


16 जुलाई 2011 को जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक में छपा मेरा आलेख

जीवन को सार्थक बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारण अति आवश्यक है ।                                                                   


जैसा कि माना जाता है प्रत्येक जीव को मनुष्य जीवन लगभग 33 करोड़ योनियों में जन्म लेने के बाद मिलता है। अतः हमें जीवन को निरर्थकता से उबार कर सार्थक बनाने के लिये अपनी व्यस्ततम जीवनचर्या को और सार्थक बनाने के लिये लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने का प्रयास करना चाहिये । कुछ बिन्दू जिन पर हम अमल कर सकते हैं।

  • जीवन में सर्व प्रथम अपने सामर्थ्य को ध्यान में रखकर अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये ,     एक से अधिक लक्ष्य होने पर प्राथमिकता तय कर लेनी चाहिये। 
  • लक्ष्य निर्धारित होने पर बिना समय गवाएं पूरी निष्ठा  ओर लगन के साथ उसे प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास  करना चाहिये । 
  • जीवन में प्रत्येक इंसान को सुअवसर जरूर मिलते हैं । ऐसे सुअवसर मिलने पर पूरी क्षमता , लगन, निष्ठा, एकाग्रता से लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत करनी चाहिये। 
  • किसी भी कारण से लक्ष्य प्राप्त ना हो तो निराश ना होकर पुनः अपनी गलतियों से सीखते हुए तलाश करने पर नये अवसर जरूर मिलेगें । सदैव आशावादी रहना चाहिये निराशा से लक्ष्य हासिल करना असंभव है।
  • लक्ष्य प्राप्ति के लिए हो सकता है कुछ ऐसे कार्य जो हमें प्रिय लगते हों जैसे टी0वी0 देखना, इधर उधर की बातों में मन लगाना, समय पास करना आदि उन्हें छोड़ने में बिल्कुल देरी नही करनी चाहिये। 
  • अपने भाग्य को ना कोसते हुए कोई कुंठित विचार अपने मन पर हावी नही होने देना चाहिये और यह विचार कि मेरा भाग्य ही खराब है हमारे लक्ष्य निर्धारण मे बाधा पैदा कर सकता है इसलिये कभी भी स्वयं पर दोषारोपण नहीं करना चाहिये । 
  • जैसे जैसे हम लक्ष्य के नजदीक आने लगते हैं वैसे वैसे हमारा जीवन पहले से अधिक रसपूर्ण होने लगता है और हम अपने परिवार व कर्तव्य के प्रति अधिक संतुष्ट, आशावादी, कर्तव्य परायण, समाज सेवी, दृढ निश्चयी होकर  आत्मसम्मान महसूस करते जाते हैं । 



अन्त में  कहना चाहूंगा कि हमारी कल्पनाओं को साकार करना ही हमारे जीवन का मूलमंत्र है अपने को कभी छोटा ना समझते हुए अपनी क्षमताओं को पहचान लेने से  हम सब कुछ कर पाने में सक्षम हो सकते हैं ।  



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